संगीत की धड़कन थम गई: तबला सम्राट ज़ाकिर हुसैन का निधन
जाकिर हुसैन की मृत्यु: भारत और दुनिया के संगीत प्रेमियों के लिए यह बेहद दुखद खबर है। तबला के जादूगर और संगीत की आत्मा कहे जाने वाले उस्ताद ज़ाकिर हुसैन अब हमारे बीच नहीं रहे। उनकी 73 साल की जीवन यात्रा, जिसमें उन्होंने तबले को न केवल भारत बल्कि वैश्विक मंचों पर नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया, आज समाप्त हो गई। उनका निधन केवल एक महान कलाकार का जाना नहीं, बल्कि एक युग का अंत है।
भारत के महान तबला वादक जाकिर हुसैन की मृत्यु 73 वर्ष की आयु में हो गई। वह हृदय संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे और अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में उनका निधन हुआ। उनके प्रबंधक, निर्मला बचानी ने यह जानकारी दी।
जाकिर हुसैन: तबले के जादूगर
उस्ताद ज़ाकिर हुसैन, जिन्हें भारत और दुनिया भर में तबले का पर्याय माना जाता है, अपनी कला और संगीत के लिए मशहूर थे। न्यूयॉर्क टाइम्स ने 2009 में उनके कार्नेगी हॉल परफॉर्मेंस के बारे में लिखा था, “ज़ाकिर हुसैन, उत्तर भारतीय तबला वादन के अद्वितीय कलाकार, अपनी नटखट लेकिन अद्वितीय कला के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी उंगलियों की गति हमिंगबर्ड के पंखों की धड़कन जैसी लगती है।”
बॉम्बे में जन्मे और तबला वादक अल्लाह रक्खा के सबसे बड़े बेटे, ज़ाकिर हुसैन ने बचपन से ही संगीत की दुनिया में कदम रखा। एक बार उन्होंने अपने पहले कार्यक्रम के बारे में बताया था कि कैसे उन्होंने अपने पिता की ओर से एक निमंत्रण पत्र का जवाब लिखकर खुद को प्रस्तुत किया। उस समय वह केवल 13 वर्ष के थे।
जाकिर हुसैन की मृत्यु पर श्रद्धांजलियां
जाकिर हुसैन की मृत्यु की खबर सुनकर देश-विदेश से श्रद्धांजलियों का तांता लग गया।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, “जाकिर हुसैन की मृत्यु देश की कला और संगीत क्षेत्र की अपूरणीय क्षति है। उनका योगदान अविस्मरणीय है। ओम शांति!”
उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने लिखा, “आज भारत की लय थम गई।” उन्होंने ज़ाकिर हुसैन और नुसरत फतेह अली खान की एक जुगलबंदी का वीडियो साझा किया।
आरपीजी एंटरप्राइजेज के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने कहा, “तबला ने अपना मास्टर खो दिया। उनकी ताल हमेशा गूंजती रहेगी।”
अंतरराष्ट्रीय ख्याति और पुरस्कार
अपने छह दशकों के लंबे करियर में, ज़ाकिर हुसैन ने भारतीय और अंतरराष्ट्रीय संगीतकारों के साथ काम किया। 1973 में उनका प्रोजेक्ट, जिसमें जॉन मैकलॉफलिन, एल शंकर और टीएच ‘विक्कु’ विनायकम शामिल थे, भारतीय शास्त्रीय संगीत और जैज़ का अनोखा फ्यूज़न लेकर आया।
उन्हें 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण जैसे सम्मानों से नवाजा गया।
ज़ाकिर हुसैन की ताल सदा गूंजती रहेगी
जाकिर हुसैन की मृत्यु ने संगीत प्रेमियों को गहरे शोक में डाल दिया है। हर्ष गोयनका ने सही कहा, “उनकी ताल सदा गूंजती रहेगी।”
ज़ाकिर हुसैन ने तबले के माध्यम से भारतीय संगीत को वैश्विक पहचान दिलाई। उनकी कला, उनकी शैली, और उनके संगीत का प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक महसूस किया जाएगा। भले ही वह शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी ताल और संगीत हमेशा अमर रहेंगे। जैसा कि हर्ष गोयनका ने कहा, “उनकी ताल सदा गूंजती रहेगी।” संगीत की यह विरासत उनके नाम को सदैव जीवित रखेगी।