प्रथमाष्टमी (Prathamastami 2024) एक अद्वितीय ओडिया त्योहार है, जो परिवार की ज्येष्ठ संतान की समृद्धि, दीर्घायु और सफलता के लिए मनाया जाता है। यह पर्व 23 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा और इसे ओडिशा के प्रत्येक घर में बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन को ‘परूहा अष्टमी’ के नाम से भी जाना जाता है।
प्रथमाष्टमी (Prathamastami 2024): तिथि और शुभ मुहूर्त

- प्रथमाष्टमी तिथि: 23 नवंबर 2024
- अष्टमी तिथि प्रारंभ: 22 नवंबर 2024 को शाम 6:08 बजे
- अष्टमी तिथि समाप्त: 23 नवंबर 2024 को शाम 7:57 बजे
प्रथमाष्टमी का महत्व
प्रथमाष्टमी एक ऐसा पर्व है जो परिवार की पहली संतान को समर्पित है। इसे ज्येष्ठ संतान के परिवार की परंपराओं और विरासत को आगे बढ़ाने वाले के रूप में सम्मानित किया जाता है। परिवारजन इस दिन गंगा शष्ठी देवी, जिन्हें ज्येष्ठा देवी के रूप में भी जाना जाता है, की पूजा करते हैं और ज्येष्ठ संतान के दीर्घायु और समृद्ध जीवन की कामना करते हैं।
ज्येष्ठ संतान को नई पोशाकें दी जाती हैं, और विशेष पकवान तैयार किए जाते हैं। इस दिन का मुख्य आकर्षण एंडुरी पीठा है, जो चावल के आटे, नारियल और गुड़ से तैयार किया जाने वाला पारंपरिक मिठाई है। इसे हल्दी के पत्तों में लपेटकर पकाया जाता है, जिससे इसकी खुशबू और स्वाद अद्वितीय होता है।
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प्रथमाष्टमी की परंपराएं और रीति-रिवाज
- पूजा और आरती: इस दिन मां अपनी ज्येष्ठ संतान की आरती उतारती हैं और देवी शष्ठी तथा भगवान गणेश की पूजा करती हैं।
- हल्दी काठी: संतान की सुरक्षा और दीर्घायु के लिए एक पवित्र पीले धागे को उनकी कलाई पर बांधा जाता है। इसे ‘हल्दी काठी’ कहा जाता है, जो बुरी शक्तियों से रक्षा का प्रतीक है।
- भोजन और उपहार: ज्येष्ठ संतान को नए कपड़े और उपहार दिए जाते हैं। उनके लिए परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा प्यार और सम्मान प्रदर्शित किया जाता है।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
प्रथमाष्टमी का आरंभ ओडिशा में 14वीं शताब्दी में हुआ माना जाता है। यह पर्व न केवल पारिवारिक संबंधों को मजबूत करता है बल्कि ओडिशा की सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है। इस दिन, मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। पुरी में भगवान बलभद्र की विशेष पूजा होती है और भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर में भगवान वरुभेषरेश्वर को भव्य शोभायात्रा के साथ मणिकर्णिका घाट ले जाया जाता है।
यह त्योहार किसानों के लिए भी विशेष है, क्योंकि यह नई फसल के उत्सव का समय होता है। इस समय की समृद्धि को एक शुभ संकेत माना जाता है, और इसे पूरे प्रदेश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
प्रथमाष्टमी (Prathamastami 2024): परंपरा का उत्सव
यह त्योहार केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह परिवार की परंपरा, ज़िम्मेदारी और बच्चों के प्रति प्रेम को भी दर्शाता है। इस दिन परिवारजन एकजुट होते हैं और अपनी ज्येष्ठ संतान के प्रति सम्मान और आशीर्वाद व्यक्त करते हैं।
प्रथमाष्टमी (Prathamastami 2024) हमें हमारी सांस्कृतिक जड़ों और पारिवारिक मूल्यों से जुड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। यदि आप भी इस पर्व को मनाने जा रहे हैं, तो इसे ओडिया परंपराओं और प्रेम की भावना के साथ मनाएं।