भाई दूज की व्रत कथा (Bhai Dooj Ki Katha ): जानिए भाई दूज का महत्व और इसकी पौराणिक कथा

Bhai Dooj Ki Katha: भाई दूज का पर्व भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है, जिसे कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष 3 नवंबर को भाई दूज मनाया जाएगा। यह दिन भाई और बहन के बीच के पवित्र रिश्ते को मजबूत करता है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक लगाकर उसके दीर्घायु की कामना करती है, और भाई अपनी बहन की सुख-समृद्धि का आशीर्वाद पाकर प्रसन्न होता है।

भाई दूज की पौराणिक कथा

भाई दूज का पर्व यमराज और यमुना की पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है। कथा के अनुसार सूर्य देव और उनकी पत्नी संज्ञा से यमराज और यमुना का जन्म हुआ। संज्ञा सूर्य का तेज सहन नहीं कर पाईं, और उन्होंने अपनी छाया को संतान की देखभाल के लिए छोड़कर तपस्या करने चली गईं। यमराज और यमुना छाया के साथ रहे, लेकिन यमुना को अपने भाई यमराज से विशेष लगाव था।

यमुना अक्सर यमराज को अपने घर आने का आमंत्रण देती थीं, लेकिन यमराज अपने कार्यभार के कारण उनके घर नहीं जा पाते थे। एक दिन, कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमराज अचानक अपनी बहन यमुना के घर पहुंचे। यमराज ने अपनी बहन से मिलकर उसे स्नेहपूर्वक आशीर्वाद दिया और बहन ने भी प्रेमपूर्वक उनका स्वागत किया।

यमुना ने अपने भाई के लिए विशेष भोजन तैयार किया और उन्हें प्रेमपूर्वक तिलक लगाकर उनके दीर्घायु की कामना की। इस पर यमराज ने प्रसन्न होकर यमुना से वरदान मांगने के लिए कहा। यमुना ने यमराज से प्रार्थना की कि हर साल इस दिन वे उसके घर आएं और उन भाइयों को यमलोक का भय न हो, जो इस दिन अपनी बहन के घर भोजन करेंगे और उससे तिलक करवाएंगे। यमराज ने यह वरदान स्वीकार किया, तभी से इस दिन को भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।

भाई दूज का महत्व

भाई दूज का पर्व बहन और भाई के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। यह त्यौहार न केवल परिवारिक स्नेह को बढ़ाता है, बल्कि बहनों द्वारा भाइयों की लम्बी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना को भी दर्शाता है। इस दिन भाई को बहन के घर जाकर भोजन करने का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि जो भाई अपनी बहन से तिलक करवाकर भोजन करते हैं, उन्हें जीवन में धन-धान्य, आयुष और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, यमराज का भय भी नहीं रहता।

भाई दूज और रक्षाबंधन में अंतर

भाई दूज और रक्षाबंधन दोनों ही भाई-बहन के पवित्र रिश्ते के पर्व हैं। रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है और उसकी रक्षा का संकल्प लेती है। वहीं, भाई दूज के दिन बहन अपने भाई को तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र की कामना करती है। रक्षाबंधन पर भाई अपनी बहन के घर जाता है, जबकि भाई दूज पर भाई अपनी विवाहित बहन के घर जाकर तिलक करवाता है।

भाई दूज का पूजन विधि

भाई दूज के दिन बहनें विधिपूर्वक पूजन कर अपने भाई को तिलक लगाती हैं। तिलक लगाने के बाद भाई को विशेष पकवानों का भोजन कराया जाता है। इस दिन श्रद्धापूर्वक बहन को वस्त्र, आभूषण, धन आदि देने का महत्व होता है। शाम को घर के बाहर दीपदान करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है।

इस प्रकार भाई दूज का पर्व न केवल भाई-बहन के रिश्ते में और मजबूती लाता है बल्कि एक-दूसरे के प्रति प्रेम और श्रद्धा को बढ़ावा देता है।

Conclusion: भाई दूज का त्यौहार भाई-बहन के रिश्ते को सम्मानित करता है और उनकी स्नेह की डोर को और मजबूत करता है। यह त्यौहार, रक्षाबंधन की ही तरह, भाई-बहन के रिश्ते में आत्मीयता, प्रेम और सच्चे समर्पण का संदेश देता है।

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