Ravichandran Ashwin Retirement: भारतीय क्रिकेट के महान स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने बुधवार को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ब्रिस्बेन में खेले गए तीसरे टेस्ट मैच के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की। अश्विन ने यह घोषणा पोस्ट-मैच प्रेस कॉन्फ्रेंस में कप्तान रोहित शर्मा के साथ की।
अश्विन का ऐतिहासिक करियर

रविचंद्रन अश्विन, जो भारत के दूसरे सबसे सफल टेस्ट गेंदबाज हैं, ने अपने करियर में कई रिकॉर्ड बनाए। उन्होंने 106 टेस्ट मैचों में 537 विकेट लेकर भारतीय क्रिकेट को ऊंचाई पर पहुंचाया। अश्विन ने यह मुकाम सिर्फ अनिल कुंबले (619 विकेट) से पीछे रहते हुए हासिल किया।
अश्विन ने टेस्ट क्रिकेट के साथ-साथ वनडे और T20I में भी शानदार प्रदर्शन किया।
- वनडे: 113 मैच, 156 विकेट
- T20I: 65 मैच, 72 विकेट
- सभी फॉर्मेट्स में कुल 765 विकेट, जो उन्हें अनिल कुंबले के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा विकेट-टेकर बनाता है।
आईपीएल में जारी रहेगा सफर
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भी रविचंद्रन अश्विन टी20 क्रिकेट खेलना जारी रखेंगे। वह आईपीएल 2025 में चेन्नई सुपर किंग्स का प्रतिनिधित्व करेंगे।
उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,
“मैं आपका ज्यादा समय नहीं लूंगा। आज मेरा भारत के लिए खेलते हुए आखिरी दिन है।”
उनके इस बयान के बाद भारतीय क्रिकेट में भावुकता का माहौल बन गया।
भावुक हुए साथी खिलाड़ी
रविचंद्रन अश्विन के संन्यास के फैसले ने उनके साथी खिलाड़ियों को भावुक कर दिया। कप्तान रोहित शर्मा ने कहा,
“वह अपने फैसले को लेकर बहुत स्पष्ट थे। हमें उनके फैसले का सम्मान करना चाहिए।”
अश्विन को उनकी घोषणा से पहले ड्रेसिंग रूम में विराट कोहली के साथ भावनात्मक पल साझा करते हुए देखा गया। बीसीसीआई ने भी उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा,
“एक नाम जो मास्टरी, जादूगरी और इनोवेशन का प्रतीक है।”
रविचंद्रन अश्विन की घरेलू दबदबा
भारत की घरेलू पिचों पर रविचंद्रन अश्विन का दबदबा अद्वितीय था। उनकी गेंदबाजी में ऐसी विविधता और कौशल था जो उन्हें अन्य गेंदबाजों से अलग बनाता था। अश्विन की गेंदबाजी भारत की टेस्ट क्रिकेट में 2014 से 2019 तक के सुनहरे दौर का आधार बनी।
अश्विन ने बल्ले से भी कई मौकों पर अहम योगदान दिया। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 5 शतक लगाए और वनडे में भी एक अर्धशतक बनाया।
विश्व कप और चैंपियंस ट्रॉफी का नायक
रविचंद्रन अश्विन ने भारत के लिए 2011 में 50 ओवर वर्ल्ड कप और 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका योगदान न केवल विकेट लेने तक सीमित था, बल्कि उन्होंने दबाव वाले पलों में टीम को जीत दिलाई।
विरासत और प्रेरणा
रविचंद्रन अश्विन का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेना भारतीय क्रिकेट के लिए एक सुनहरे अध्याय का अंत है। उनकी जगह भर पाना युवाओं के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। अश्विन ने अपनी विरासत में एक ऐसा मुकाम छोड़ा है, जो आने वाले खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
रविचंद्रन अश्विन रिटायरमेंट (Ravichandran Ashwin Retirement) के साथ भारतीय क्रिकेट को एक ऐसा सितारा अलविदा कह रहा है, जिसकी चमक हमेशा बरकरार रहेगी।